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         फुलझड़ियों की रात


दीपों का थाल सजाऊँ मैं
तुम देना मेरा साथ सजन
है फुलझड़ियों की
रात सजन

घर अंगना खिड़की द्वारे पर
तुम वन्दनवार सजा देना
बगिया की महकी क्यारी से
तुम चुन-चुन कलियाँ ला देना
फूलों की माल पिरोऊँ मैं
दूँ तुझको ही सौगात सजन
है बंधन की यह
रात सजन

जब रंग भरूँ रंगोली में
इक रंग केसरी तेरा हो
इन फूलों में जो हँसे-खिले
वो रंग सिंदूरी मेरा हो
जब मंगल कलश बनाऊँ मैं
संग दोनों के हों हाथ सजन
है उत्सव की यह
रात सजन

अम्बर में घोर अँधेरा है
धरती दीपों से सजी धजी
कहीं खील-बताशे बँटते हैं
कहीं दीपमाल की लड़ी सजी
मंदिर में ज्योत जलाऊँ मैं
हो सब की पूरी साध सजन
उजियारों की है
रात सजन

- शशि पाधा
१ अक्टूबर २०२२

       

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