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         आ गयी देखो दिवाली


आ गयी देखो दिवाली, झिलमिलाती गाँव में
रंग रोगन अल्पनाएँ
हैं धरा के पाँव में

पुष्पिकाओं से सुशोभित, हर गली हर द्वार है
राह की वीरानियों पर, रौशनी उपहार है
सज गयी चौपाल फिर से,
नीम की उस छाँव में

बेचने निकलीं दियों को कुछ कुम्हारन आस ले
रूप, गुड्डे और गुड़िया, टोकरी में खास ले
बुन रहीं सपने सभी अब
जिन्दगी के ठाँव में

उर उमंगें प्रीत की उपजा हृदय अनुराग है
हर दिशाएँ जगमगाती गूँजता मधु राग है
प्रेयसी को दे गया संदेश
कागा काँव में

धन मिले वैभव मिलेगा जगमगाती रात को
स्वर्ण आभूषण मिलेंगे नेह की सौगात को
मत लुटाना ये खजाना
तुम किसी भी दाँव में

- पुष्प लता शर्मा 

१ नवंबर २०२३
   

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