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तुम्हें नमन
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी को समर्पित कविताओं का संकलन

 

चरख़ा चला चला कर

चरख़ा चला चला कर भगवान बन गए

सोए स्वदेश को नई रौशनी दिखा
सारे जहान के नए दिनमान बन गए

भूला था गुलामी में जो अपने वकार को
उसको सिखाने में ही नीतिवान बन गए

अपना मिटा के सबकुछ दुनिया के वास्ते
सबकी दुआएँ पाकर धनवान बन गए

शहरों की शान ऐश व हसरत को छोड़ कर
सब कुछ लुटा ग़रीबों के ईमान बन गए

सारी कमाई लूट के खाते थे विदेशी
उनसे लड़ाई ले के दयावान बन गए

क्या-क्या तुम्हारी खूबियाँ गाए कोई कवि
जेलों में बैठ युद्ध के संधान बन गए

इस सत्य अहिंसा की बड़ी तेज़ धार है
गोठिल विदेशियों के बंधान बन गए

होगी प्रभु की दया तो हो जाएँगे स्वतंत्र
गांधी हमारी शक्ति के तूफ़ान बन गए

-वंशीधर शुक्ल

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