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        सर्दी चढ़ी सोपान

 

सर्दी चढी सोपान
रात का वृहद वितान

कैसे गुजरेगी भला, काँप काँप यह रात
शीत थपेडों से हुई, नाग पाश सी रात
मिले नहीं समाधान

दिन तो कुछ सकुचा गया, मंद हो गयी धूप
काँति न पहले सी रही, चमक हीन सा रूप
स्वेद का तनिक न भान

बर्फ ओढनी से ढके, पर्वत श्रंग सफेद
पोथी खुली शाखों की, वृक्ष वाँचते वेद
अति पावन अनुष्ठान

अंगना में कुम्हार के, ठंड़ा पड़ा अलाव
माटी चिपकी चाक पर, दुबका वहीं बिलाव
ईश का यही विधान

पक्षी कैसे पारखी, करते हैं अन्वेष
बचने शीत प्रकोप से, छोडें अपना देश
धन्य यह अंतर्ज्ञान !!

हिमकण बूंदे दमकती, टहनी टहनी पात
पाले से फसलों पर, अतीव घातक घात
कृषक को मिले निदान
रात का वृहद वितान

- ओम प्रकाश नौटियाल
१ दिसंबर २०२०

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