अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

कैसी सर्दी

सर्द सुबह

गर्म महल है
गर्म है माथा
घोटालों की
गर्म है गाथा
रिश्तों में भी कड़वाहट की
कुछ गर्मी-सी छाई है
कैसी सर्दी आई है

धर्म टूटकर
धर्म बना है
लाल रक्त से
धर्म सना है
धर्मगुरू नें ढोंग रचाकर
बेशर्मी बिखराई है
कैसी सर्दी आई है

सत्य से लड़कर
सत्य मिटा है
आज खेल में
सत्य पिटा है
नव असत्य की आँगन आँगन
अब बहती पुरवाई है
कैसी सर्दी आई है

सर्द झोंपड़ा
सर्द साँस है
जीवन क्या है
सर्द आस है
सर्द भावनाओं की सूची
ठिठुर ठिठुर कुम्हलाई है
कैसी सर्दी आई है
यह कैसी सर्दी आई है

- अभिनव शुक्ला
१ दिसंबर २०१९

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter