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24. 7. 2007  

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याद की बरसातों में

जब भी होता है तेरा जिक्र कहीं बातों में
लगे जुगनू से चमकते हैं सियाह रातों में

खूब हालात के सूरज ने तपाया मुझको
चैन पाया है तेरी याद की बरसातों में

रूबरू होके हक़ीक़त से मिलाओ आँखें
खो ना जाना कहीं जज़्बात की बारातों में

झूठ के सर पे कभी ताज सजाकर देखो
सच ओ ईमान को पाओगे हवालातों में

आज के दौर के इंसान की तारीफ़ करो
जो जिया करता है बिगड़े हुए हालातों में

आप दुश्मन क्यों तलाशें कहीं बाहर जाकर
सारे मौजूद जब अपने ही रिश्ते नातों में

सबसे दिलचस्प घड़ी पहले मिलन की होती
फिर तो दोहराव है बाकी की मुलाक़ातों में

गीत भँवरों के सुनो किससे कहूँ मैं नीरज
जिसको देखूँ वो है मशगूल बही खातों में

-- नीरज गोस्वामी

 

इस सप्ताह

अंजुमन में-
नीरज गोस्वामी

कविताओं में-
संजय कुंदन

देशांतर में-
अनिल प्रभा कुमार

हाइकु में-
अर्बुदा ओहरी

पिछले सप्ताह
(16 जुलाई 2007 के अंक में)

गौरव ग्राम में
गोपाल सिंह नेपाली

तेवरियों मे
ऋषभ देव शर्मा

अंजुमन में-
सावित्री तिवारी आज़मी

दोहों में-
पवन चंदन

कविताओं में-
हरे राम समीप

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प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन¸ कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन
-|- सहयोग : दीपिका जोशी