प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित
 
पत्र व्यवहार का पता

अभिव्यक्ति  

४. ५. २००९

अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्रामगौरवग्रंथ दोहे पुराने अंकसंकलनहाइकु
अभिव्यक्ति हास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतरनवगीत की पाठशाला

कितना अजब संग्राम है

  कितना अजब संग्राम है
हर क्षण पराजय हो रही पर
जीतने का नाम है

इस जन्म की सौगन्ध हम
भूखे लड़े हैं भूख से
तन में अगन मन में अगन
फिर भी जुड़े हैं धूप से
खाई बनाकर
पाटना,
दुख से दुखों को
काटना
कितना निरर्थक काम है

जल की सतह पर सिल गए
हल्की हवा से हिल गए
कीचड़ भरे संसार में
जलजात जैसे खिल गए
जल से न ऊँचे
जा सकें
जल से न नीचे
आ सकें
कितना विवश विश्राम है

कुछ दर्द की गरिमा बढ़े
आँसू पिये हँसते रहे
विद्रोह नगरों से किया
वीरान में बसते रहे
कुंडल कवच के
दान का
या कर्ण के
अभियान का
कितना दुखद परिणाम है

1
-- आनंद शर्मा

इस सप्ताह

गीतों में-

अंजुमन में-

दिशांतर में-

दोहों में-

पुनर्पाठ में-

पिछले सप्ताह
२७ अप्रैल २००९ के अंक में

गीतों में-

अंजुमन में-

छंदमुक्त में-

हाइकु में-

पुनर्पाठ में-

अन्य पुराने अंक

अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्रामगौरवग्रंथ दोहे पुराने अंकसंकलनहाइकु
अभिव्यक्ति हास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है।

अपने विचार — पढ़ें लिखें

 

Google

Search WWW  Search anubhuti-hindi.org
प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन¸ कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन
-|- सहयोग : दीपिका जोशी
 
३०,००० से अधिक कविताओं का संकलन
   
१९६४ २ ३ ४ ५ ६ ७ ८ ९ ०