प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित
 
पत्र व्यवहार का पता

  १७. १. २०११

अंजुमन उपहार काव्य संगम गीत गौरव ग्राम गौरवग्रंथ दोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति
हाइकु अभिव्यक्ति हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर नवगीत की पाठशाला

लोग

 

सोन हँसी हँसते हैं लोग
हँस हँसकर डसते हैं लोग

रस की धारा
झरती है विष पिये अधरों से
बिंध जाती भोली आँखें विष कन्या की नज़रों से
नागफनी की बाहों में
हँस हँसकर कसते हैं लोग

चुन दिये गये हैं
जो लोग नगरों की दीवारों में
खोज रहे हैं अपने को वे ताज़ा अखबारों में
अपने ही बुने जाल में
हँस हँसकर फँसते हैं लोग

जलते जंगल
जैसे देश और कत्लगाह से नगर
पागलखानों सी बस्ती चीरफाड़ जैसे घर
भूतों के महलों में
हँस हँसकर फँसते हैं लोग

रौंद रहे हैं
अपनो को सोये सोये से चलते से
भाग रहे पानी की ओर आग जली में जलते से
भीड़ों के इस दलदल में
हँस हँसकर धँसते हैं लोग

हम तुम वे
और ये सभी लगते कितने प्यारे लोग
पर कितने तीखे नाखून रखते हैं ये सारे लोग
अपनी खूनी दाढ़ी में
हँस हँस कर ग्रसते हैं लोग

-- शंभुनाथ सिंह

इस सप्ताह

गीतों में-

अंजुमन में-

छंदमुक्त में-

हाइकु में-

पुनर्पाठ में-

पिछले सप्ताह
१० जनवरी २०१ के अंक में

गीतों में-

अंजुमन में-

छंदमुक्त में-

क्षणिकाओं में-

पुनर्पाठ में-

अन्य पुराने अंक

अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्रामगौरवग्रंथदोहेपुराने अंकसंकलनहाइकु
अभिव्यक्तिहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतरनवगीत की पाठशाला

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है।

अपने विचार — पढ़ें  लिखें

Google

 

Search WWW  Search anubhuti-hindi.org


प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन¸ कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन

सहयोग : दीपिका जोशी

 
   
१ २ ३ ४ ५ ६ ७ ८ ९ ०