प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित
 पत्र व्यवहार का पता

अभिव्यक्ति तुक-कोश

३. ९. २०१२

अंजुमन उपहार काव्य संगम गीत गौरव ग्राम गौरवग्रंथ दोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति
भक्ति सागर हाइकु अभिव्यक्ति हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर नवगीत की पाठशाला

सपनों का संसार

 

सपनों का संसार
खोजने अब सुधियों के देश चलेंगे
महानगर में सपने अपने धू-घू करते रोज जलेंगे

शापों का
संत्रास झेलते पूरा का पूरा युग बीता
शुभाशीष का एक कटोरा अब तक है रीता का रीता
पीड़ाओं के शिलाखण्‍ड ये जाने किस
युग में पिघलेंगे

यहाँ रहे तो
कट जाएगी सुधियों की यह डोर एक दिन
खो देंगे पतंग हम अपनी नहीं दिखेगा छोर एक दिन
नदी नहीं रेत ही रेत है तेज धूप है
पाँव जलेंगे

खेतों की मेड़ों पर
दहके- होंगे स्‍वागत में पलास भी
छाँव लिए द्वारे पर अपने बैठा होगा अमलतास भी
धूल धुँए धूप के नगाड़े हमें देखते
हाथ मलेंगे

हाथों का दम
ले आएगा पर्वत से झरना निकाल कर
सीख लिया है जीना हमनें संत्रासों को भी उछालकर
मुस्‍कानों के झोंके होंगे जिन गलियों से
हम निकलेंगे

अपने मन के
महानगर में तुलसी के चौरे हरियाए
सुबह-शाम आरती हुई है सबने घी के दीप जलाए
मानदण्‍ड शुभ सुन्‍दरता के मेरी बस्‍ती
से निकलेंगे

--राजा अवस्थी

इस सप्ताह

गीतों में-

bullet

राजा अवस्थी

अंजुमन में-

bullet

कृष्ण सुकुमार

छंदमुक्त में-

bullet

प्रियंका जैन

दोहों में-

bullet

कल्याण सिंह

पुनर्पाठ में-

bullet

चंद्रशेखर त्रिवेदी

पिछले सप्ताह
२७ अगस्त २०१२ के अंक में

गीतों में-

bullet

निर्मला साधना

अंजुमन में-

bullet

 डॉ. शिवशंकर मिश्र

छंदमुक्त में-

bullet

सुशील जैन

मुक्तक में-

bullet

 धर्मवीर भारती

पुनर्पाठ में-

bullet

डा. भारतेन्दु श्रीवास्तव

अन्य पुराने अंक

अंजुमनउपहार काव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंकसंकलनहाइकु
अभिव्यक्तिहास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतरनवगीत की पाठशाला

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है।

अपने विचार — पढ़ें  लिखें

Google
Loading

प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन¸ कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन

सहयोग : दीपिका जोशी

 
१ २ ३ ४ ५ ६ ७ ८ ९ ०