पत्र व्यवहार का पता

अभिव्यक्ति तुक-कोश

१५. २. २०१६

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कुण्डलिया हाइकु अभिव्यक्ति हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर नवगीत की पाठशाला रचनाकारों से

तो अकेला मैं नहीं

 

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साथ मेरे चल रही है इत्र में डूबी हवा
तो अकेला मैं नहीं हूँ

आज कितने बाद जूड़े-सा बँधा मन
आज अँजुरी फूल-सा हल्का हुआ तन
धमनियों में बज उठी है शरद-पूनो की विभा
तो अकेला मैं नहीं हूँ

अब गगन है रेशमी आँचल रूपहला
तारकों में प्यार का रोमांच पहला
चाँद के हँसते नयन में बन गयी काजल घटा
तो अकेला मैं नहीं हूँ

चाँदनी आसंग में खिलती हँसी है
चूड़ियों की खनक-मर्मर में बसी है
झील के सौ टूक दर्पण में किसी का चेहरा
तो अकेला मैं नहीं हूँ

सीढ़ियाँ कर पार वर्षों की निमिष में
मैं खुली छत पर खड़ा ठंडी तपिश में
बाहुओं में बँध गई-अनटूट शीशे की लता
तो अकेला मैं नहीं हूँ
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- राजेन्द्र प्रसाद सिंह

इस पखवारे

गीतों में-

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राजेन्द्र प्रसाद सिंह

अंजुमन में-

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महावीर उत्तरांचली

छंदमुक्त में-

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हरीश सम्यक

दोहों में-

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सपना मांगलिक

पुनर्पाठ में-

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डॉ. धर्मेन्द्र पारे

पिछले पखवारे
१ फरवरी २०१६ को प्रकाशित

गीतों में-
रामस्वरूप सिंदूर

अंजुमन में-
अनिता मांडा

छंदमुक्त में-
भोलानाथ कुशवाहा

छोटी कविताओं में-
सुधीर विद्यार्थी

पुनर्पाठ में-
निर्मला गर्ग

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