पत्र व्यवहार का पता

अभिव्यक्ति तुक-कोश

१. ८. २०२३  

अंजुमन उपहार काव्य संगम गीत गौरव ग्राम गौरवग्रंथ दोहे पुराने अंक संकलन अभिव्यक्ति
कुण्डलिया हाइकु अभिव्यक्ति हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर नवगीत की पाठशाला रचनाकारों से

         पुरवा लहराई है

 

 

झूम उठी धरती की मोहक अँगडाई हैं
मांदर के ताल पर
पुरवा लहराई हैं
.
गुड की मिठास लिये रिश्तों को सजने दें
सखी आज मौसम को जी भर सँवरने दें
नदिया के तट किसने
बाँसुरी बजाई है
..
हरियाली खेतों की, धानी चूनर मन की
भीगे से मौसम में साजन के आवन की
थिरक रहे नूपुर ज्यों
गोरी शरमाई हैं
.
टुसू का परब आज नाचे मन का मयूर
मतवारे नैनों में प्रीत का नशा है पूर
सूरज की नई किरऩ
लालिमा-सी छाई है
.
बहक रही मादकता, जाग रही चंचलता
घुंघरु के बोल बजे, बिहु के गीत सजे
घर आँगन वन उपवन
जागी तरुणाई हैं
.
- पद्मा मिश्रा

इस माह

गीतों में-

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पद्मा मिश्रा

अंजुमन में-

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दिगंबर नसवा

छंदमुक्त में-

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तृषान्निता बनिक

दिशांतर में-

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यू.एस.ए. से भाविक देसाई

छोटे छंद में-

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आकुल के दोहे

पुनर्पाठ में-

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देवव्रत जोशी
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विगत माह
जुलाई के अंक में

गीतों में- डॉ अरुण तिवारी गोपाल,
अंजुमन में मधु शुक्ला,

छंदमुक्त में नीरज नीर,
दिशांतर में अमेरिका से नीलम जैन,
छोटे छंद में निवेदिता निवी के हाइकु और
पुनर्पाठ में चंद्रप्रकाश पांडेय
की रचनाएँ।

 

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प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन¸ कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन / गजल संपादक- भूपेन्द्र सिंह
     

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