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अनुभूति में आकुल की रचनाएँ-

दोहों में-
अतिथि पाँच दोहे

नयी कुंडलियों में-
वर दो ऐसा शारदे

कुंडलिया में-
सर्दी का मौसम
साक्षरता

छंदमुक्त में-
झोंपड़ पट्टी

संकलन में-
मेरा भारत- भारत मेरा महान
नया साल- आया फिर नव वर्ष
देश हमारा- उन्नत भाल हिमालय

नीम- नवल बधाई
दीप धरो- उत्सव गीत
होली है-
होली रंगों से बोली

 

 

अतिथि 

घर आए जब भी अतिथि, देना ये सुख चार ।
आसन, जल, वाणी मधुर, यथाशक्ति आहार ।।- हंस दोहा


समझ अतिथि देवोभव:, देख सदैव  प्रभाव ।
स्‍वागत अरु सत्‍कार से, बनता नम्र स्‍वभाव ।।- गयंद दोहा


अतिथि सदा परिवार की, रखता है पहचान ।
जाने कब किस मोड़ पर, बन जाए भगवान ।।- पयोधर दोहा


अतिथि और रिश्‍ते सदा, देखें प्रेम स्‍वभाव ।
नहीं नम्रता के बिना, दिखता है सद्भाव ।।- मर्कट दोहा


अतिथि रहो बस चार दिन, फिर कैसा सत्‍कार । 
ब्याह बाद बारात से, ज्‍यों रूखा व्‍यवहार ।।- नर दोहा

१ अगस्त २०२३

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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