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अनुभूति में अनामिका सिंह अना की रचनाएँ-

अंजुमन में-
कसक उनके दिल में
चलो दोनों चलें
दिल में दुआएँ थीं
रोग है पैसा कमाना
ये सोचना बेकार है

 

कसक उनके दिल में

कसक उनके दिल में भी पायी गई थी
यही बात हमको बताई गई थी

जिसे याद कर आँख ही नम हो जाए
वही बात अक्सर उठाई गई थी

तुम्हें चाहते हैं दिल- ओ -जां से कहकर
बिसात -ए -मुहब्बत बिछाई गई थी

खड़ी आज बेटी सिसकती हुई क्यों
जिसे ब्याहने में कमाई गई थी

लुटी बेटियों की सरेआम अस्मत
नहीं आसमां तक दुहाई गई थी

नहीं बेटियाँ ब्याह पाया कभी वो
सरेआम बोली लगाई गई थी

नहीं होश में हैं वो दीवाने आश़िक
जिन्हें चश्म से मय पिलाई गई थी

हिना छूटने भी न पाई ‘अना’ पर
वो बंधेज ख़ातिर जलायी गई थी

१ नवंबर २०१९

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