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अनुभूति में बसंत ठाकुर की रचनाएँ-

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इंसानियत का पाठ
ऐ खुदा बंदे को कुछ ऐसी
कोई छोटा न कोई बड़ा आदमी
ख्वाब आता है
सुनामी से होता कहर

अंजुमन में-
अब इस तरह
एहसास के पलों को
ऐ जिंदगी
कातिलों को ये कैसी सजा
जाते हुए भी उसने

 

ऐ जिंदगी

आँखों से अब न अश्क बहाना ऐ जिंदगी
हालात ज़रा अपने सुनाना ऐ जिंदगी

चंचल है तू हसीन है रंगीन है बहुत
जीवन के सारे रंग दिखाना ऐ जिंदगी

चर्चा है तेरे हुस्न की सारे शहर में अब
आँचल में अब न खुद को छुपाना ऐ जिंदगी

जिनके दिलों में जल रही है नफरतों की आग
आईना ज़रा उनको बताना ऐ जिंदगी

जो खेलते है खून की होली तू उन पे अब
इंसानियत का रंग चढाना ऐ जिंदगी

४ जुलाई २०११

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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