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अनुभूति में डॉ. भगवान स्वरूप चैतन्य की रचनाएँ-

अंजुमन में-
आज कितने उदास
इन अँधेरी बस्तियों में
एक दिन ऐसा भी आएगा
फिर कई आज़ाद झरने
सो रहा है ये जमाना

 

आज कितने उदास

आज कितने उदास हैं चेहरे
वेदना का लिबास हैं चेहरे

आदमी खो गया अँधेरों में
आदमी की तलाश हैं चेहरे

मन की पीड़ा के इस तपोवन में
एक जलता पलाश हैं चेहरे

शबनमी साँझ के धुँधलके में
लेखनी का प्रकाश हैं चेहरे

हम जिन्हें खोजते किताबों में
आज भी आसपास हैं चेहरे

२९ नवंबर २०१०

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