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अनुभूति में करीम पठान अनमोल की रचनाएँ-

अंजुमन में-
अब ना कोई कमी
किस्से नहीं रहे
दिये में तेल-सा

 

अब न कोई कमी

अब ना कोई कमी सी लगती है
जिन्दगी, जिन्दगी-सी लगती है

हमसफर तुम हो इस सफर में तो
तीरगी रोशनी-सी लगती है

इश्क रहमत भी है इबादत भी
आशिकी बन्दगी-सी लगती है

तेरे चेहरे की मुस्कुराहट से
जीस्त मेरी जुड़ी-सी लगती है

समंदर तुम हो एक प्यासा और
मेरी हस्ती नदी-सी लगती है

सबसे अनमोल तेरी चाहत है
तू मेरी जिंदगी-सी लगती है

१८ मार्च २०१३

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