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अनुभूति में खान हसनैन आकिब की रचनाएँ-

अंजुमन में-
इधर उधर की
एक पत्ता निराशा का
कभी आसां कभी मुश्किल
तेरे नजदीक
बस्तियाँ छोड़ के

 

एक पत्ता निराशा का

एक पत्ता निराशा का, एक आस का
जिन्दगी वृक्ष जैसे अमलतास का

क्या करें लेके सन्देह की एक सदी
एक क्षण ही बहोत तेरे विश्वास का

इस को घाटे, नफे में ना यो तौलिये
प्रेम तो नाम है केवल आभास का

अब
जो हम सत्य को सत्य कहने लगे
आगया है समय अपने बनवास का

ज्ञात अज्ञात हैं, और अज्ञात ज्ञात
हमसे पूछे कोई खेल इतिहास का

पंक्ति से भी कम था हृदय का बखान
जिसको समझा मैं पन्ना उपन्यास का

मुझसे बोली मेरे कर्मो की कुंडली
लेखा जोखा हूँ मैं तेरे हर श्वास का

आज हसनैन सेवा में है आपकी
कीजे स्वीकार प्रणाम इस दास का

१५ अप्रैल २०१३

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