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अनुभूति में पंकज मिश्र वात्स्यायन की रचनाएँ

अंजुमन में—
कहने को तो
नागयज्ञ होगा दोबारा
बसंत
श्मशान पर मेरा पता

 

कहने को तो

कहने को तो अपने दिल का हाल सुनाकर आया हूँ
अपने मन की पीड़ा का बादल बरसाकर आया हूँ

फिर भी व्याकुल व्यथित बहुत हूँ कैसी पीर नई है ये
उसकी आँखों के दरिया को दिल में छिपाकर आया हूँ

कैसे ना ये रूह भीगती उसके बेबस आँसू से
उसके भूखे बच्चों को मैं आज देखकर आया हूँ

सच कहता हूँ दर्द का सागर अल नीनो से तड़प रहा।
इक तूफान हृदय में अपने आज जगाकर आया हूँ।।

इसे मात्र धमकी मत समझें कह दो सत्ता धारी से
मैं विचार का दीप अखंडित आज जलाकर आया हूँ

बच कर रहना तेज़ सुनामी आज कलम से उट्ठेगी
इस सत्ता की जड़ें खोखली स्वयं देखकर आया हूँ

३० मार्च २०१५

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