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                   अनुभूति में 
					डॉ राकेश जोशी की रचनाएँ- 
                  नयी रचनाओं में- 
					कठिन है 
					कैसे कह दूँ 
					चाहती है 
					डर लगता है 
					मैं सदियों से 
					अंजुमन में- 
					अंधकार से लड़ना है 
					कैसे कैसे लोग शहर में 
                  आज फिर से 
					
					जैसे-जैसे बच्चे  | 
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					मैं सदियों से
					 
					 
					मैं सदियों से यहाँ हूँ, मैं सदियों तक यहीं हूँ 
					ये दुनिया है नई मैं, पुराना आदमी हूँ  
					 
					सभी अंधे हुए हैं, हैं आँखें पर सभी की 
					मैं सबको देखता हूँ, मैं काना आदमी हूँ 
					 
					सियासत पूछती है, कि तेरा नाम क्या है 
					सियासत ने ये शायद, न जाना आदमी हूँ 
					 
					मैं अपने गाँव से जब, चला तो आदमी था 
					शहर में पर किसी ने, न माना आदमी हूँ 
					 
					मैं क्या हूँ, नाम क्या है, मेरी पहचान क्या है 
					क्यों मुझसे पूछते हो, कहा ना, आदमी हूँ 
					 
					 
					९ मार्च २०१५  |