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अनुभूति में राकेश मधुर की रचनाएँ-

नयी रचनाओं में-
कहाँ ठहरा हुआ
गौर दिल पे
ठीक कोई अनुमान नहीं
न ताकत से न रुतबे से
सबके दिल में

अंजुमन में-
कड़ी धूप में भी
कश्ती में पानी
जैसा तु समझे
वो कहाँ खुद भी देख पाता है

 

वो कहाँ ख़ुद भी देख पाता है

वो कहाँ ख़ुद भी देख पाता है
इतनी ऊँची पतंग उड़ाता है

ज़िक्र सहरा में करके पानी का
क्यों मेरी तिश्नगी बढ़ाता है

दिल की फितरत हुई है अब ऐसी
चोट खाता है मुस्कुराता है

शाम होते ही तेरी याद का दीप
.खाना-ए-दिल में झिलमिलाता है

मुझसे तू पहले भी खुला कब था
मुझसे तू अब भी कुछ छुपाता है

कुछ न बिगड़े जो सुबह का भूला
शाम तक घर को लौट आता है

२२ सितंबर २०१४

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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