अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में रमा प्रवीर वर्मा की रचनाएँ-

नयी रचनओं में
काम जब बनता नहीं
क्या खबर थी
दिल ये चाहता है
बस यही इक गम रहा
मत खराब कर

अंजुमन में-
अगर प्यार से
तुमको सदा माँगते हैं
नहीं मुश्किल
बात बने
यों न फासला रखना

 

क्या खबर थी

क्या खबर थी आप जैसा बेवफ़ा मिल जायेगा
हम वफ़ा करते रहेंगे पर दगा मिल जाएगा

शख्स जो हँसता हुआ दिखता है उसके दिल में भी
देखने से दर्द का तूफां दबा मिल जाएगा

हम चले थे ख्वाहिशें खुशियों की लेकर राह में
क्या पता था गम का कोई सिलसिला मिल जाएगा

तीरगी का गम न कर, तू कर शुरू अपना सफर
एक दीपक राह में जलता हुआ मिल जाएगा

सच की पैरोकारी में रिश्ते भी टूटेंगे मगर
बाँट लेगा दर्द जो रिश्ता नया मिल जाएगा

जिन्दगी में करके सेवा देख लो माँ बाप की
शक्ल में इंसान की तुमको खुदा मिल जाएगा

हौसले की बात है बाकी 'रमा' कुछ भी नहीं
है यकीं खुद पे तो समझो रास्ता मिल जाएगा

१ सितंबर २०१८

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter