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अनुभूति में राम प्रसाद बिस्मिल की रचनाएँ-

अंजुमन में-
न चाहूँ मान दुनिया में
सर फ़रोशी की तमन्ना
हे मातृभूमि तेरे चरणों में

संकलन में-
मेरा भारत-
ऐ मातृभूमि तेरी जय हो

 

सरफ़रोशी की तमन्ना

सर फ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है ज़ोर कितना बाज़ुए-कातिल में है।

क्यों नहीं करता कोई भी दूसरा कुछ बातचीत
देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफ़िल में है।

ऐ शहीदे-मुल्को-मिल्लत मैं तेरे ऊपर निसार
अब तेरी हिम्मत का चर्चा गैर की महफिल में है।

वक़्त आने दे बता देंगे तुझे ऐ आसमाँ
हम अभी से क्या बताएँ क्या हमारे दिल में है।

खींच कर लाई है सब को क़त्ल होने की उम्मीद
आशिकों का आज झमघट कूचा-ए-कातिल में है।

यूँ खड़ा मकतल में कातिल कह रहा है बार-बार
क्या तमन्ना-ए-शहादत भी किसी के दिल में है

अब न अगले वलवले हैं और न अरमानों की भीड़
एक मिट जाने की हसरत अब दिले-बिस्मिल में है

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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