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अनुभूति में मेजर संजय चतुर्वेदी-अंजू चतुर्वेदी की रचनाएँ-

अंजुमन में-
आइना
जब से मैं
दादा-दादी
दिल जला फसलें जलीं
मेले में
सड़क
 

 

सड़क

पास आकर ठहरती है दूर जाती है सड़क
आदमी को ज़िन्दगी के गुर सिखाती है सड़क

हम गरीबों के लिये तो गाँव तक आयी नहीं
ले के शाही कारवाँ दिल्ली को जाती है सड़क

रौशनी में रोज़ कितने घर उजड़ते हैं यहाँ
बेघरों को दिन ढले लोरी सुनाती है सड़क

भूल जाता है हक़ीक़त जब कभी भी आदमी
फिर पसीने का सबक़ खूँ से सिखाती है सड़क

रात दिन सैलानियों सी घूमती है इसलिए
सबकी यादों का पिटारा ढो के लाती है सड़क

२३ मार्च २००९

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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