अनुभूति में
सीमा गुप्ता की रचनाएँ-
अंजुमन में-
इतिहास
इस तकलुफ़ का
ख्वाब जैसे ख्याल
शायरी नहीं होती
है ये शोला
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इतिहास
मेरा ये इतिहास रहा
तेरे बिन बनवास रहा
आया जब भी चाँद नज़र
तेरा ही आभास रहा
आँखें तो वीरान रहीं
सपनो में मधुमास रहा
नादानों की कदर हुई
दाना का उपहास रहा
बातें सब खामोश रही
चेहरे पे उल्लास रहा
पूजा-अर्चन सब भूल गयी
हर पल तू ही पास रहा
९ मई २०११
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