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अनुभूति में शहरयार की रचनाएँ-

अंजुमन में-
ऐसे हिज्र के मौसम
किया इरादा
ये काफिले यादों के
सीने में जलन
सूरज का सफर खत्म हुआ
हद-ए-निगाह तक ये ज़मीं
हम पढ़ रहे थे

 

सूरज का सफर खत्म हुआ

सूरज का सफर खत्म हुआ रात न आई
हिस्से में मेरे ख्वाबों की सौगात न आई

मौसम ही पे हम करते रहे तब्सरा ता देर
दिल जिस से दुखे ऐसी कोई बात न आई

यों डोर को हम वक्त की पकड़े तो हुए थे
एक बार मगर छूटी तो फिर हाथ न आई

हमराह कोई और न आया तो क्या गिला
परछाई भी जब मेरी मेरे साथ न आई

हर सिम्त नज़र आती हैं बेफस्ल ज़मीनें
इस साल भी शहर में बरसात न आई

२० फरवरी २०१२

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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