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अनुभूति में सुधीर कुशवाह की रचनाएँ-

अंजुमन में-
झूठ बातों का सदा प्रतिवाद
दूसरों के वास्ते भी
पर्वतों से घाटियों से
फूल जितने भी हमारे पास

'

झूठ बातों का सदा प्रतिवाद

झूठ बातों का सदा प्रतिवाद होना चाहिए
किंतु आँखों में नमी उन्माद होना चाहिए।

चाहे जैसी दुश्मनी हो जाए अपने बीच में
दोस्त लेकिन उम्र भर संवाद होना चाहिए।

प्यार की सारी किताबें ढूँढकर ले आइए
प्यार का हर पाठ हमको याद होना चाहिए।

हो जुबाँ कोई हमारी प्यार तो बस प्यार है
हर जुबाँ में प्यार का अनुवाद होना चाहिए।

जिस नगर में दोस्तो इंसान ही इंसान हों
एक ऐसा भी नगर आबाद होना चाहिए।

१६ जुलाई २०१२

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