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अनुभूति में सूर्यभानु गुप्त की रचनाएँ-

अंजुमन में-
जिनके अंदर चिराग
दिल में ऐसे
दिल लगाने की भूल
सुबह लगे है यूँ
हर लम्हा ज़िंदगी

संकलन में-
वर्षा मंगल- जामुन का पेड़

' जिनके अंदर चिराग

जिनके अंदर चिराग जलते हैं
घर से बाहर वही निकलते हैं

बर्फ़ गिरती है जिन इलाकों में
धूप के कारोबार चलते हैं

दिन पहाड़ों की तरह कटते हैं
तब कहीं रास्ते निकलते हैं

ऐसी काई है अब मकानों पर
धूप के पाँव भी फिसलते हैं

खुदरसी उम्र भर भटकती है
लोग इतने पते बदलते हैं

हम तो सूरज हैं सर्द मुल्कों के
मूड आता है तब निकलते हैं

१९ अप्रैल २०१०

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