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अनुभूति में उर्मिला माधव की रचनाएँ-

अंजुमन में-
अपनी ख़ुद्दारी के दम पर
जब याद तुम्हारी आती है
डूबते सूरज
लफ़्ज़ लिखे और टाँग दिए
हे सदाशिव

 

हे सदाशिव

हे सदाशिव आपका आभार है।
शून्य ही तो सृष्टि का आधार है।

कितनी सारी शक्तियाँ ब्रह्माण्ड की
कुछ निरापद है तो ये संसार है।

ह्रास चारित्रिक हुआ मानव का अब
हर किसी मस्तिष्क में व्यभिचार है।

जो करोगे, लौट कर मिल जाएगा
अवतरित है और ये साकार है।

दिग्भ्रमित होना तो निश्चित है यहाँ
इस तरह संसार का आकार है।

१५ सितंबर २०१५

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