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अनुभूति में डॉ. आर. पी. सारस्वत की रचनाएँ-

बाल गीतों में-
उड़ी पतंग
नानी की तरकीब

रात रात भर
हाथी भैया पहुँचे मंडी

  उड़ी पतंग

उड़ी-उड़ी, लो उड़ी पतंग
सरसर चलो हवा के संग

फरफर उड़ती जाती है
फूली नहीं समाती है
दिन भर खूब मचा हुडदंग
उड़ी-उड़ी, लो उड़ी पतंग

देखो रंग निराले हैं
नीले, पीले, काले हैं
इसको प्यारे सारे रंग
उड़ी-उड़ी लो उड़ी पतंग

आसमान तक उड़ती है
इधर-उधर को मुड़ती है
वो काटा, वो कटी पतंग
उड़ी-उड़ी, लो उड़ी पतंग-

१ फरवरी २०१०

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