अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में अभिषेक झा की रचनाएँ—

छंदमुक्त में—
चेहरे का सच
ठंड की ओट में

रौशनी के उस पार
यादों की परछाइयाँ

 

चेहरे का सच

लाल पत्तों के झुरमुट में
हरे रंग का सुन्दर फूल
चेहरे पहनकर ललचाता
अंकों को गलत चश्मा पहनाता
फिर इठलाता, मुस्कुराता

जब उससे
कुछ पाने की लालसा जागती
तो जीभ चिढ़ा, ठेंगा दिखा जाता

ऐसे कई फूलों के
दिए गम को निकलने के लिए
जब मैं आईने के सामने बैठा जाता
तो चेहरे के रंग झड़ने लगते

अगर चाह होती,
तो असली रंग भी दिख जाता
फिर फूलों की बात तो छोडिये
रंगों से भरोसा उठ जाता

२७ दिसंबर २०१०

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter