अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

डॉ आदित्य शुक्ल

शिक्षा : एम.एससी., पीएच.डी.-रसायन शास्त्र

आत्मकथ्य : विशेष अंर्तदृष्टि पाकर भी कवि एक सामाजिक प्राणी ही होता है। औरों की तरह उसे भी जीवन में संघर्षों का सामना करना पड़ता है। कवि का यह संघर्ष वैयक्तिक नहीं बल्कि व्यापक होता है। वह इसे शब्द दे कर जन-जन से जोड़ देता है। 

दुखों की तुलना तो आदमी पहाड़ से कर लेता है किंतु सुख को मापने का कोई मापदंड नहीं होता। वह तो महज़ अनुभूति होती है। मेरे गीत मेरी इन्हीं अनुभूतियों का प्रतिफल है जिनसे यह दुनिया और भी सुंदर लगने लगती है। 
ई मेल ­
aditya_chem@yahoo.co.in 

  अनुभूति में डॉ आदित्य शुक्ल की कविताएँ—
जीवन यों ही बीत गया
तुम चंदा-सी शीतलता दो
सुख और दुख
यदि मिल जाएँ पंख उधार
लगता है कोई बोल रहा है
 

 


इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter