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अनुभूति में अरविंद कुमार सिंह की रचनाएँ

छंदमुक्त में-
पतझड़
नीड़
मानव

 

नीड़

अपने चोंच से
तिनका-तिनका
बड़े लगन से बीन-बीन कर
एक चिङ़िया अपना
नीड़ बनाती है।

चिलचिलाती धूप,
तेज बारिश,
कइ़क शरद में
स्वयं को परिवार सहित
छुपाती है।

पर निर्मित
ऊँची-ऊँची भव्य
अट्टालिकाऒं से
आश्रय की आस
नहीं लगाती है।

२७ सितंबर २०१०

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