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अनुभूति में अशोक वाजपेयी की रचनाएँ-

एक बार जो
प्यार करते हुए सूर्य स्मरण
वे बच्चे
समय से अनुरोध
सूर्य
सड़क पर एक आदमी

 

  एक बार जो

एक बार जो ढल जाएँगे
शायद ही फिर खिल पाएँगे।

फूल शब्द या प्रेम
पंख स्वप्न या याद
जीवन से जब छूट गए तो
फिर न वापस आएँगे।
अभी बचाने या सहेजने का अवसर है
अभी बैठकर साथ
गीत गाने का क्षण है।

अभी मृत्यु से दाँव लगाकर
समय जीत जाने का क्षण है।
कुम्हलाने के बाद
झुलसकर ढह जाने के बाद
फिर बैठ पछताएँगे।

एक बार जो ढल जाएँगे
शायद ही फिर खिल पाएँगे।

२४ मार्च २००६

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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