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अनुभूति में डॉ. भूतनाथ तिवारी की कविताएँ—
घूमो
जगह देता चल
ट्रैफ़िक जाम
तूती बोले
भाँपो
सरलता
सैर

 

भाँपो

भाँपो
रखो
झाँको
खुद को
न खुदा को
न देवता को
देखेगी ठंडी
बयार
थपथपाएगी
सुनहरी नींद में ले जाएगी
जगह लेगा
समस्याओं का समाधान
विडंबनाएँ होंगी
अंतर्धान
वे तुम्हें भाएँगे
तुम उन्हें भाओगे
अमावस्याओं का
होगा खात्मा
महसूस होगा
परमात्मा

९ जुलाई २००६

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