अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में ब्रज श्रीवास्तव की रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
आज की सुबह
क्रूरता
खबर के बगैर
तब्दीली
तुम्हारी याद का आना
न जाने कौन सी भाषा से
भव्य दृश्य

 

भव्य दृश्य
(पचमढ़ी का एक दर्शनीय स्थल ’भव्य दृश्य’ देखकर)

मीलों दूर ऊँचे-ऊँचे पहाड़ों की एक कतार
उस कतार के पीछे एक और कतार पहाड़ों की
फिर एक और कतार
उसके बाद भी दिखाई दे रही है एक कतार

ये बादल हैं या पहाड़ तय करना मुश्किल

चारों ओर सिर्फ़ ऊँचाई ही ऊँचाई
जिन्हें पत्थरों ने छुआ
अपने आकार से

इनके बीच में इतनी गहरी खाइयाँ
लिए हुए अपनी गोद में
झाड़ियाँ और अनगिन जानवर

...इतनी विशाल संरचना
जहाँ यह शाम का सूरज भी
एक दर्शक की तरह है

उसने रचा एक भव्य दृश्य
प्रकृति को ख़ुद भी
मालूम है कि नहीं

२३ जनवरी २०१२

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter