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अनुभूति में दिनेश अवतार हजेला की रचनाएँ —

तुकांत में-
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साहस

 

 

साहस

धड़ धड़ घन गरज रहे हैं।
तड़ तड़ क्यों दामिनी दमकी
कोई इन्हें समझा दे मुझ पर
व्यर्थ रहेगी इनकी धमकी

घिर घिर दुख के बादल
बार बार मँडराये मुझ पर
साहस मेरा तोड़ न पाये
चाहे जितने बने भयंकर

कड़क–कड़क संकट की बिजली
जाने कितनी बार गिरी है।
कभी भले तन झुलस गया हो।
मन की बगिया हरी रही है।

घोर निराशा में भी मैंने।
आशाओं के दीप जलाए।
रोया भी तो ऐसे रोया
रो रो मैंने गीत सुनाए।

९ जनवरी २००३

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