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अनुभूति में घनश्याम तिवारी की
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छंदमुक्त में—
गुलाब की रौनक
जीवन रहस्य
मुस्कुराने के लिये
शब्द

शब्द

हम नित्य है शब्द अनित्य है
हम ओस की बूंद है शब्द आदित्य है
हम आये हैं संसार से चले जायेंगे
कहे हुये शब्द दिलो में रह जायेंगे
शब्द ऐसे कहिये जो मन में बस जाये
शब्द ऐसे मत कहिये जो मन को डस जाये
शब्द से जान का गुंजार हो
शब्द से आलोकित संसार हो
शब्द ही तो है जो दुखी मन को दिलासा देते हैं
शब्द ही तो है जो मरते हुये को आशा देते हैं
शब्दों के आश्वासन से नेता जनता को भरमाते हैं
शब्दों के अनुशासन से कवि जब मन में बस जाते हैं
द्रौपदी के शब्द महाभारत में अंगारे बने,
राम शब्दों से ही सबके प्यारे बने,
कृष्ण शब्दों से सबको लुभाते रहे,
राधा के लिये मुरली बजाते रहे
मीठे शब्दों से सबको लुभाते रहिये
जीवन में आशा का दीपक जलाते रहिये

८ जून २००३
 

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