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वजूद की तलाश

माँ ने कहा तुम हंसो
तो मैं हंसने लगा
बापू ने कहा रोओ
तो मैं रोने लगा।

भैया ने कहा
नाचकर दिखलाओ
और मेरे नंगे पांव
थिरक उठे
पथरीली जमीन पर
बहना ने चाहा
कि मैं गाऊं
और मैं गाने लगा।

ऐसे ही किसी एक दिन
हंसता रोता नाचता गाता
हुआ मैं
बन जाऊंगा
सेमल का फ़ूल
और अपने सपनों को
मुट्ठी में बंद करके
उड़ जाऊंगा
नीले आसमान में
दूर/बहुत दूर
अपने वजूद की तलाश में।

१९ अक्तूबर २००९

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