अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में कुसुम सिन्हा की रचनाएँ

अंजुमन में—
कोई तो है
फूलों में बसी ख़ुशबू
वो लम्हा

 

कोई तो है

कोई तो है जो हर पल ही
हमारे साथ रहता है
हमारे साथ हँसता है
हमारे साथ रोता है

कभी खामोश रातों में
मुझे आवाज देता है
किसी ख़्वाबों की
दुनिया में मुझे फिर
ले के जाता है

ना आती नींद है जब रात
की बेचैन करवट में
थपिकयाँ दे के मुझको
फिर कोई गाकर सुलाता है

तनहाइयों में जब कभी
आँसू बहाता हूँ
पोंछकर अश्क मेरे वो
मेरे गम को भुलाता है

वो अपना है मेरा अपना
मुझे महसूस होता है
मेरे हर गम में बढ़कर
हाथ मेरा थाम लेता है

कि उसके दिल की हर
धड़कन मुझे महसूस होती है
कि जैसे मेरी साँसों में
ही उसका दिल धड़कता है

1 सितंबर 2007

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter