अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में मथुरा कलौनी की रचनाएँ

कविताओं में—
आतंकवादी की माशूका
एक पल
कबतक
तुम्‍हारे नयन
नया युग
पुरुष का संदेश नारी के नाम
रस्में
वे दिन

 

 

नया युग

भूख से विवर्ण मुख हैं
पेट लग रहा है पीठ से
खाने का समय नहीं
क्लायंट बैठे हैं ढीठ से

नया युग है
जीवन हो गया है यायावर
भूले हैं लोग प्यार के बोल
दो घड़ी साथ बैठ कर

न्यूक्लियर फैमिली का ज़माना
अब हो गया है पुराना
कोई क्यों कर बसाए घर
जब प्रचलन है 'ऑफ लिविंग टुगेदर'

भागमभाग तब भी थी औ' अब भी है
केवल बदलती रही हैं परिभाषाएँ
आकाक्षाएँ तो बहुत-सी हैं पर
रिश्तों में मरणासन्न है आशाएँ

कॉल सेंटर की नौकरी है
कृतिम प्रकाश है तमस पर
मिचमिचाती हैं आँखें
ज्योति आभा देख कर

वय:संधि पर सद्य: यौवनायें
कैशोर्य अपना खोती हैं?
परंपराओं को शव पर
मान्यताएँ हमारी रोती हैं

लड़की थी जर्मनी लड़का फिनलैंड
शादी हुई इंडिया हनीमून इग्लैंड
अभी पत्नी है अमेरिका, टूर पर पति जापान
अंतिम चरण पर है अब दांपत्य सोपान

16 अप्रैल 2007

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter