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अनुभूति में मुकेश जैन की रचनाएँ

छंदमुक्त में-
उसके लिए सड़क
छोटा बच्चा रोता है
देह को भान नहीं था
मुझे टीवी पर पता चला
हम हैं
 

  हम हैं

हम हैं
इतना ही काफी है उन्हें
हमारे होने से फर्क नहीं पड़ता
हम न होते तो दिक्कत थी

एक दिन उन्होने हमें बुलाया
सभी गए
उन्होंने कहा बाजा बन जाओ
सभी बाजा बन गए
उन्होंने बजाया
हम बजे
उन्होने धप्प से मारा
हम हँसे।
हम हँसे
तो फूल झड़े
उन्होंने फूलों पर पैर रखा
और कहा
मजा आया।

१२ अप्रैल २०१०

 

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