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पहला सबक
बच्चे के बड़ा होने तक
बयान
रेलवे प्लेटफ़ार्म

 

बच्चे के बड़ा होने तक

बच्चा आह्लादित है
देखकर तितली की
थिरकन भरी उन्मुक्त उड़ान
या
वह रीझा है
तितली के परों पर बिखरे
इंद्रधनुषी रंगों के इंद्रजाल में
कौन जाने?
बच्चा तो आखिर बच्चा है
उसके पास
आह्लाद, रूदन, उदासी या
निराशा की भाव-भंगिमा वाला
कोई मुखौटा तो है नहीं

उसके पास तो जो कुछ है
वह स्वत: स्फूर्त है
उपजता है उसके भीतर से
आकाश के बदलते
रंगों की मानिंद

बच्चा जब तक बच्चा है
तब तक वह नहीं पूछेगा
आह्लाद का अर्थ
न बताएगा ही
रूदन का कारण

बच्चा जब बड़ा होगा
तब होंगे उसकी वार्डरोब में
अनेक आकृतियों वाले मुख
और ढेर सारे सवाल
पर तब वह
और चाहे कुछ भी हो
बच्चा नहीं होगा।

१ जून २००६

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