अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में निवेदिता जोशी की रचनाएँ-

कविताओं में-
आगत अनागत
डूबता सूरज
नंगे पाँव
मंज़िल की तलाश


संकलन में-
गाँव में अलाव - अपना गाँव

` डूबता सूरज

उसी पहाड़ी के पीछे से चमकता सूरज रोज़
लुका-छिपी खेलता है
सुबह नीले आकाश में चमकता हुआ
शाम तक घाटी की गोद में जा गिरता है
ज़िन्दगी भी कुछ यों ही लुका-छिपी खेलती है
सुबह उम्मीद का नीला आसमाँ दिखाकर
शाम तक साये की गोद में जा गिरती है
जैसे कभी फिर सुबह होगी ही नहीं।

 

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter