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अनुभूति में पंखुरी सिन्हा की रचनाएँ

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हमारी तकलीफों की रिपोर्ट

हमारी तकलीफों की रिपोर्ट

जिन तकलीफों की रिपोर्ट लिखाई हमने
क्या हुआ उनका
फाइल बनकर रह गयी, रिपोर्ट हमारी
खाली खबरें आती रहीं
इन, उन, अखबारों में
कि बचा है कितना काम पुलिस के पास
कि कितनी महिलाएँ गायब हैं
कहीं कोई आँकड़ा नहीं
अगर है तो कोई पता नहीं
कोई तहकीकात नहीं
फिर कहते हैं
हमारे पास बेरोज़गारी है
कोई नौकरी नहीं
तो आखिर पुलिस में और बहाली क्यों नहीं?

६ जुलाई २०१५

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