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अनुभूति में पराग कुमार मांदले की रचनाएँ—

तीन होली रचनाएँ-
छोड़ दे अब तो
रूप तुम्हारा
होली

अंजुमन में-
अपना जीवन
किस्मत ने
परदा इतना झीना कैसा
बैर
मुझपे अगर नज़र
मेहनत का पैगाम
याद जब आए
हादसे

कविताओं में-
बावजूद इसके

संकलन में—
वर्षा मंगल–बरखा रानी

  छोड़ दे अब तो

छोड़ दे अब तो
कडुवी वाणी
कब तक रूठी
रहेगी रानी
लड़ने को तो
पड़ा है जीवन
उम्र भर की है
अपनी अनबन
रोज़ ही लड़ते
रहेंगे तुम-हम
पर न आएगा
रोज़ ये मौसम
अरमान में
लगी है आग
हुई भोर
अब जाग-जाग
तक़दीर-सी तू
बहुत है सो ली
आ ज़िंदगी
खेलें हम होली।

१ मार्च २००६

 

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