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वृत्त

 

 

वृत्त
(गणित से संबंधित कविता)

एक वृत्त जिसकी त्रिज्या परिधि और व्यास
सतत गतिशील हैं
कभी फैल जाते हैं
अनंत दिशाओं तक
कभी सिमट कर समाहित जाते हैं
केंद्र बिंदु में
ये एक चमत्कारिक और अभिमंत्रित वृत्त है
अपने ही माथे पे एक लाल वृत्त संजोये
हमारे कहे अनकहे भय समझने की अद्भुत क्षमता
हमारे विस्थापन के साथ
पल पल घटता बढ़ता
उसका वात्सल्यमय परिधि सा आंचल
हमें पुकारती परस्पर विपरीत
दिशाओं में फैली व्यास सी बाहें
कभी अपनी बाँहों में भरने को तत्पर
कभी सामने उठी हुई समान्तर त्रिज्या सी
अर्ध वृत्त बनाते हुए भी
सम्पूर्णता की परिचायक बाहें
कभी अपने अंक में भर
सम्पूर्ण वृत्त को केन्द्रीभूत कर
सत्यापित करता अपने अस्तित्व को
मैं नत मस्तक हूँ उस प्रभु के आगे
जिसने हम सब को दिया है एक ऐसा वृत्त
जो हमसे शुरू हो हम पर ही समाप्त होता है
हाँ! मैंने हर वृत्त में एक माँ को पाया है

२३ मई २०११

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