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अनुभूति में राघवेंद्र तिवारी की
रचनाएँ-

कविताओं में-
चिड़िया
चुनाव
पेड़ का जंगल होना
सुबह

 

चिड़िया (दो कविताएँ)


बहुत दिन पहले
उड़ी थी एक चिड़िया
पंखों के भीतर
पंखों के बाहर उड़ान
भरने के लिए
तब उसे लगा था
आकाश नाप लेने का सुख
कितना व्यक्तिगत
होता है
और जब वह जुड़ गई
आकाश की चीज़ों से
तब उसे लगा
सार्वजनिक जीवन
कितना होता है
असहाय

चिड़िया खो रही है
अपनी पहचान
जबकि उसके पंख हैं
सही सलामत
उसने तय किया है
जब तक आकाश
उसके घोंसले में
नहीं होगा
वह कर देगी उसे घोंसला
मानने से इनकार
और लोगों की ज़िद है
घोंसले और आकाश के फ़र्क को
वे बढ़ाते रहेंगे
निरंतर-निरंतर।

२४ नवंबर २०१४ २२ सितंबर २००८

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