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अनुभूति में राजेश जोशी की रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
जन्म
पक्की दोस्तियों का आईना
माँ कहती है
मैं अक्सर अपनी चाबियाँ खो देता हू
संग्रहालय
हर जगह आकाश

 

माँ कहती है

हम हर रात
पैर धोकर सोते हैं

करवट होकर।
छाती पर हाथ बाँधकर

चित्त
हम कभी नहीं सोते।
सोने से पहले
माँ
टुइयाँ के तकिये के नीचे
सरौता रख देती है
बिना नागा।

माँ कहती है
डरावने सपने इससे
डर जाते हैं।

दिन-भर
फिरकनी-सी खटती
माँ
हमारे सपनों के लिए
कितनी चिन्तित है!

४ मार्च २०१२

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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