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अनुभूति में सतीश सागर की
रचनाएँ -

छंदमुक्त में-
घाव
परिश्रम
समुद्र
सही सोच

 

 

समुद्र

अथाह जल
उतन ही अथाह धैर्य
सच में समुद्र
तुम्हारी रचना
अप्रतिम है
तुम्हारे भीतर छिपा है
अथाह दर्द
और
सबको
समेट लेने की
क्षमता
तुम्हें देखने
निरखने का
अपना
अलग ही
सुख है
ऐसे में तुम
सच में
बेहद करीब
लगते हो
बिल्कुल
तुम्हें
मन से
शत-शत नमन
बारंबार नमन!

१ दिसंबर २०१४

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