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अनुभूति में शशिकांत सिंह शशि की रचनाएँ -

छंदमुक्त में-
क्रांतिबीज
चाहत
जादूगर और कलुआ
बयान


 

 

बयान

वे बयान नहीं देंगे
न बकरे के पक्ष में न कसाई के
कटना बकरे का धर्म है
काटना कसाई का कर्म है
धर्म-कर्म के मामले में
वे चुप रहते हैं।

बकरे के लिए
उनको दुःख है
धारण करेंगे दो मिनट का मौन
लिख लेंगे एक कविता
छोड़ देंगे एक सप्ताह तक
मांसाहार।

उनकी भी मजबूरी समझिये
कसाई से
उनकी क्या अदावत है?
आज शाम उसीके घर पर
दावत है।

१० फरवरी २०१४

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